Monday, 19 May 2025

अहंकार क्या है ? अहंकारी और निरअहंकारी व्यक्ति की पहचान, और टीम बिल्डिंग में अहंकारी लीडर का नुकसान"

 "अहंकार क्या है? अहंकारी और निरअहंकारी व्यक्ति की पहचान, और टीम बिल्डिंग में अहंकारी लीडर का नुकसान"...

अहंकार क्या है ?

अहंकार (Ego) वह मानसिक स्थिति है जहाँ व्यक्ति स्वयं को श्रेष्ठ, सर्वोपरि और पूर्ण मानने लगता है। वह दूसरों की बातों को तुच्छ समझता है, आलोचना सहन नहीं कर पाता और हर स्थिति में अपनी ही मान्यता को सही मानता है।
अहंकार स्वाभिमान (Self-Respect) से अलग होता है। जहाँ स्वाभिमान आत्म-गौरव की भावना है, वहीं अहंकार दूसरों को नीचा दिखाकर खुद को ऊँचा मानने की प्रवृत्ति है।

कैसे पहचाने: अहंकारी और निरअहंकारी व्यक्ति

1. अहंकारी व्यक्ति की पहचान:

हमेशा खुद की ही तारीफ़ करता है।

दूसरों की सलाह या आलोचना स्वीकार नहीं करता।

गलती होने पर दोष दूसरों पर डालता है।

हमेशा चाहता है कि लोग उसकी बात माने।

सफल होने पर क्रेडिट सिर्फ खुद लेता है, और असफलता के लिए दूसरों को ज़िम्मेदार ठहराता है।

टीम के सुझावों को अनदेखा करता है।


2. निरअहंकारी (Egoless) व्यक्ति की पहचान:

सभी की बात सुनता है और सम्मान देता है।

आलोचना को सकारात्मक रूप से लेता है।

टीम की सफलता को साझा करता है।

असफलता की जिम्मेदारी लेता है।

नया सीखने के लिए हमेशा तैयार रहता है।

खुद को टीम का हिस्सा मानता है, न कि सिरमौर।

टीम बिल्डिंग में अहंकारी लीडर की हानि

एक लीडर का काम सिर्फ निर्देश देना नहीं होता, बल्कि टीम को साथ लेकर चलना होता है। लेकिन जब लीडर अहंकारी हो जाता है, तो टीम का विकास रुक जाता है।

1. अहंकारी लीडर को लगता है कि वही सब जानता है। इसलिए वह दूसरों की बात नहीं सुनता। इससे टीम के सदस्य खुलकर अपनी राय नहीं रखते। इनोवेटिव आइडियाज दब जाते हैं।

उदाहरण:
राजीव एक टीम लीडर था जो हर मीटिंग में सिर्फ अपनी बात करता था। कोई सदस्य जब सुझाव देता, तो वह कहता – "तुम्हें क्या पता, मैं 10 साल से हूँ।" धीरे-धीरे टीम चुप रहने लगी और प्रदर्शन गिर गया।

2. प्रतिभाशाली लोग दूर हो जाते हैं:

जब टीम के सदस्य महसूस करते हैं कि उनकी कद्र नहीं हो रही, तो वे लीडर से दूर हो जाते हैं। इससे प्रतिभा का पलायन होता है और टीम कमजोर हो जाती है।

उदाहरण:
नीता एक होशियार डायरेक्ट सेलिंग लीडर थी, लेकिन वह चाहती थी कि सभी उसके तरीके से ही काम करें। टीम के दो डायरेक्ट्स ने अलग ग्रुप बना लिया, और उसकी टीम बिखर गई।

3. सीखने की प्रक्रिया रुक जाती है:

एक अहंकारी लीडर सोचता है कि उसे सब आता है, इसलिए वह नया सीखना बंद कर देता है। इससे उसका व्यक्तिगत विकास रुक जाता है और टीम को भी अपडेटेड स्किल्स नहीं मिलतीं।

उदाहरण:
अनिल ने अपने अपलाइन की ट्रेनिंग लेना बंद कर दी क्योंकि वह सोचता था, “अब मुझे सब आता है।” धीरे-धीरे उसकी टीम पीछे रह गई क्योंकि वह बदलते सिस्टम को समझ ही नहीं पाया।

4. क्रेडिट खुद लेना, मनोबल गिराना:

जब टीम सफलता पाती है, तो अहंकारी लीडर सारा श्रेय खुद लेता है। इससे बाकी टीम में असंतोष और निराशा पैदा होती है।

उदाहरण:
टीम ने 10000 PV का टारगेट पूरा किया, लेकिन लीडर मंच पर जाकर बोला – "मैंने ये मुकाम हासिल किया।" अगली बार किसी ने मेहनत नहीं की क्योंकि किसी को मान्यता नहीं मिली।

5. विश्वास और अपनापन खत्म हो जाता है:

टीम विश्वास पर चलती है। लेकिन जब लीडर सबको नीचे दिखाता है, अपमान करता है या सिर्फ अपनी बात मनवाता है, तो अपनापन टूट जाता है। लोग मजबूरी में रहते हैं, दिल से नहीं।

उदाहरण:
कमलेश की टीम बहुत अच्छी थी, लेकिन वह सबको “छोटा” समझता था। धीरे-धीरे लोग सिर्फ नाम के लिए टीम में रहे, पर एक्टिविटी बंद हो गई। टीम का ग्रोथ रुक गया।

कैसा होना चाहिए एक अच्छा लीडर?

नम्र (Humble): जो खुद को सिखने योग्य समझे।
सराहना करने वाला (Appreciative): जो दूसरों की मेहनत की कद्र करे।
सुनने वाला (Good Listener): जो हर सदस्य की बात सुने।
मार्गदर्शक (Mentor): जो टीम को प्रेरणा और दिशा दे।
दृढ़ लेकिन सहनशील (Firm yet kind): जो अनुशासन बनाए रखे, लेकिन सम्मानजनक तरीक़े से।

निष्कर्ष: अहंकार मिटाओ, नेतृत्व को निखारो

टीम का लीडर अगर विनम्र है, तो टीम खुश रहती है, जुड़ी रहती है और तरक्की करती है। लेकिन अगर लीडर अहंकारी है, तो टीम टूटती है, लोग दूर होते हैं और परिणाम गिरते हैं।

प्रेरणादायक कथन:
“जिस लीडर को लगता है कि वह सब जानता है, वह सीखने की शुरुआत ही नहीं कर पाया।”

**तो अगली बार जब अहंकार सर उठाए, खुद से पूछिए – मैं टीम का लीडर हूँ या सिर्फ अपनी ही शो चला रहा हूँ?”

मेरी शुभकामनाये ।


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