Wednesday, 7 July 2021

FINANCIAL FREEDOM (अर्थिक आजादी) ESBI ..जीवन का एक मनोरंजक यात्रा बन चुका हैं ....(HINDI)

अर्थिक आजादी क्या है।

जब किसी व्यक्ति के पास पैसा और समय दोनों साथ होता हैं, ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को फाइनेंसियल फ्री कहा जाता हैँ। 
इन्टरनेट युग में इसकी शिक्षा बहुत सामन्य होती जा रहीं है ।

अर्थिक आजादी हम किस तरह प्राप्त कर सकते हैं ?

 कुछ विशेष लोग कम्पनी बना कर लोगों के लिए  रोजगार पैदा करते है और दूसरे के  शिक्षा, मेहनत और समय से खुद को और दूसरों को लाभ पहुँचाते  और इस सिद्धांत को हम लीवरेजिंग या कॉमपाऊँडींग कहते हैं.
आज इन्टरनेट युग का दौर हैं, पहले इंडस्ट्रियल ऐज मे  कंपनी रोजगार पैदा करती थी और इस दौर में इन्टरनेट टेक्नोलॉजी अर्थिक अवसर पैदा कर रही हैं ।
इन्टरनेट युग में बिजनेस सिस्टम हम लोगों के लिए अवसर पैदा करता हैँ और अर्थिक आजादीै पैदा करने में मदद  करता है.

What is financial Freedom ?

When you have money and time together, you succeed in  achieving financial freedom.
In internet age the education of Financial freedom  is  far reaching and becoming very common.

How can we achieve Financial Freedom ?

Financial freedom comes in two ways. 
First by creating an organization and creating employment or entrepreneurship opportunities for others and thus creating Financial freedom .
Following a simple duplicable business model ( ex. Amway Business Model ) that helps every people in the organization to learn,grow and duplicate  and thus creating a massive massive duplication and thus creating passive income.
 
Secondly, by building your investment portfolio and creating passive income. Investment must be your habit to build your passive income. There must be an saving goal ( 20% of your monthly income ) every month to build your passive earning through I = investment quadrant. 
Average and common people don't have their investment strategy. So they keep struggling their entire life.
People who want to have  financial freedom must balance their Business and investment quadrant.

If u want financial freedom in this internet age, You have to build your business organisation in NWM ( Network marketing) business. Without much investment,  you can create your business organisation and earn Financial Freedom.

Common people work for their livelihood entire life.  
Very few People hire a  system or build a system  for  creating  Financial freedom for themselves and others.
In Amway Business model we follow a System based on duplication principle.

System helps the person in Leveraging and compounding time, money and efforts of other people .
In network marketing business we hire or sponsor people with their dreams and thus  help people to enhance their potential by learning & educating themselves and thus raise their business productivity.
This opportunity is very very unique and very powerful.  
And the best part of this NWM business is that this opportunity is available to everyone equally . There is no much fees attached to its operations. 
This is the greatest advantages , benefit and blessings of technology in the present time to our generations . 

फाइनेंसियल फ्रीडम हमें सिस्टम से प्राप्त होता हैं . हम सब एक सिस्टम को फॉलो करते हैं और सिस्टम के प्रति वफादार होते हैं. 
सिस्टम से हम निरन्तर  नयी नयी चीज़े सीखते हैं और समाज में लोगों के लिये एक गाइड का काम करते हैं.

We attain Financial freedom through a business system. We all follow our business system and stay United.

Financial Freedom concept समझने के लिए , हमे ESBI philosophy को समझना होगा. 
नये विद्यार्थियों को ESBI philosphy को समझना  बहुत ज़रूरी हैं. 

ESBI CONCEPT/ESBI विचाराधारा से आप क्या समझते है। 

श्री रोबर्ट टी कियोसाकी , ने दुनिया को ऐसा अर्थिक विचार- धारा दे दिया है, जिससे एक आम आदमी अर्थिक सफलता की शीर्ष पर पहुंच सकता है। 
इन्होने पुरे दुनिया की आर्थिक गतिविधि को चार खंडो/हिस्सों में बाट रखा है। इतने सरलता से उन्होंने विचार को दुनिया के सामने रखा है, की कोई भी साधारण व्यक्ति भी इसे समझ सकता है और दूसरों से साझा कर सकता  हैं और अपनी आर्थिक परिस्थतयों  पर नियन्त्रण बना सकता है ।

 एक क्वाड्रेंट से दूसरे क्वाड्रेंट में माईग्रेट कर सकते है और ये यात्रा अब जीवन का एक मनोरंजक यात्रा हो गया हैं।

रॉबर्ट टी कियोसाकी , दूनिया का एक महान अर्थशास्त्री.... पूरी आर्थिक गतिविधियां को चार हिस्सों में बाट रखा है। ये चार खण्ड E S B I कहलाता है।   

यहाँ पर लोग अपनी पढ़ाई लिखाई, टेक्निकल ट्रेनिंग या प्रोफेशनल पढ़ाई के बाद अपना रोजगार करना पसंद करते है । 

S का अर्थ है जितने भी सेल्फ एम्प्लॉयड जिन्होंने स्वम  का रोजगार पैदा किया है।  

B का अर्थ होता है, बिज़नेस ओनर , बिज़नेस ओनर उसे कहते है जो 500 लोगो को अपना बिजनेस पार्टनर बना लिया हो या .....
500 लोगों से अधिक लोगों को नौकरी दे रखा है, या 500  या उससे अधिक का उनका बिज़नेस काउंटर  तैयार कर रखा हो। इस इनकम को हम लिवरेजिंग इनकम कहते है। 

 आई क्वाड्रेंट का अर्थ है इन्वेस्टर, या निवेशक होना।  इस क्वाड्रेंट मैं  लोग पैसे को निवेश कर के पैसा बनाते है। इसे हम पैसिव इनकम कहते है। 

ESBI को विस्तार से समझे : 

E से Employee Quadrant  

ज्यादातर मिडिल क्लास का परिवार अच्छी पढ़ाई लिखाई कर के E क्वाडरेंट में अच्छी जगह बनाने का प्रयास करते है। इसे हम एक्टिव इनकम कहते है । यहाँ केवल एक टाइटल होता है,  फिक्स्ड माइंड सेट होता है।  
इस क्वाडरेंट में लोग अपने समय को पैसे के साथ ट्रेड करते  है।  यानी समय लगाकर पैसे कमाते है। समय की एक सीमा होती है, 24 घण्टे की । और इसी तरह हमारी इंकम की भी एक सीमा बन जाती हैं । 
औद्योगिक युग का परिणाम है नौकरी। औद्योगिक युग से पहले कोई नौकरी नहीं था, ज्यादतर व्यक्ति कृषि काम से ही अपना जीवन यापन करते थे। 

औद्योगिक युग में जीवन भर हम काम करते है , फिर रिटायर होते है।  रिटायरमेंट के बाद पूरे जीवन का प्रयास शून्य हो जाता है । 

इसलिए सेवानिर्वित के बाद भी E क्वाडरेंट के लोग पुनः किसी दूसरे काम की तलाश में लग जाते है। 
इस क्वाडरेंट में आपके ऊपर एक बॉस होता है। जो तनाव का मुख्य कारण होता है। इसे चूहा दौड़ ( RAT RACE ) भी कहा जाता है, क्योंकि इस क्वाडरेंट को भीड़ अनुकरण कर रही है। लोग यहाँ सिक्योरिटी के लिए आते है, जो यहाँ होता नही है। नौकरी एक किराया का घर समान है, जिसे हमे बीच मे कई बार बदलनी पड़ती है, और अंत मे रिटायरमेंट  के बाद हम नौकरी करने लायक भी नही होती है।

इस क्वाडरेंट में काम करना बंद तो पैसा आना बंद।

( इसकी और जानकारी के लिए  आप Rich Dad Poor Dad और  Cash Flow Quadrant किताब को  पढ़ सकते हैं  )

Self Employee सेल्फ एम्प्लोयी ....से आप क्या समझते है। 

सेल्फ एम्प्लोयी अपना काम खुद तैयार करते है। खुद के बॉस होते है। सरकार या कंपनियों पर सैलरी के लिए निर्भर नही होते है।
उदहारण के लिए ....
दुकानदार, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, इंजीनियर, शिक्षक बहुत सारे ऐसे लोग इसी वर्ग में आते हैं ।

यहाँ अच्छी बात ये होती  है की वे खुद के बॉस होते है। खुद के निर्णय लेते है। समय और प्रोफेशनल  स्किल को विक्रय कर के अपनी सफ़लता बनाते है। 
एक दुकानदार सेल्फ एम्प्लोयी होता है , क्योंकि वो अकेला या वो कुछ लोगों को साथ ले कर काम करता हैं। 
वो बिज़नेस ओनर नहीं होता हैं । 
इसके पास भी 24 घन्टे की समय सीमा होती है।  
दुकान बंद तो सबकुछ  बंद। 
एक वकील, एक डॉक्टर, एक चार्टर्ड अकाउंटटेंट सेल्फ एमपोलाई होता है , जब तक वे अपने काम मे उपस्थित रहते है इंकम आती हैं, काम पे जाना बंद तो इंकम बंद।

इस  क्वाडरेंट में भी लोग अपने समय को पैसे के साथ ट्रेड करते है, जब तक समय लगाते है, पैसा आता है। काम करना बंद तो पैसा आना बंद हो जाता है।  हम इस सीमा को या इस कमी को अपने जीवन से किस प्रकार दूर कर सकते हैं। हमे इसके लिए बिजनेस ओनर बनना होगा।

Business Owner बिज़नेस  ओनर.....से आप क्या समझते है। 

बिज़नेस ओनर एक सिस्टम के साथ काम करता हैं ।  इस प्रकार के बिजनेस को हम फ्रेंचाईजी  बिजनेस मॉडल कहते है ।
फ्रेंचाइजी मॉडल में एक व्यक्ति सिस्टम को तय्यार करता हैं फिर उस सिस्टम को किराये में बेचता  हैं , और वो अपने सिस्टम को अलग अलग जगह बेच देता हैं . और बहुत सारे लोगो को कम्पनी से जोड़ देता है , और बहुत सारे लोगों को नौकरी पर रख लेता हैं, और इस प्रकार वो सभी के योगदान से अपने बिजनेस की क्षमता को बढ़ा देता हैं, और  इंकम को कई गुना बढ़ा देता है ।

पर यहाँ पर फ्रेंचाइजी  सिस्टम की एक सीमा होती है । आपको विक्रय करने का अधिकार कुछ सिमित क्षेत्रफल तक होता है। 
जैसे मारुती के डीलर, टाटा के डीलर, हुंडई के डीलर इसी तरह हज़ारो ऐसी कम्पनिया है जो अपने डीलरशिप को बहुत ही ऊँची कीमत में  बेच रही है।  

पर आम आदमी फ्रेंचाइजी सिस्टम को किराये में नहीं ले सकता। पहले तो बहुत सारा पैसा, फिर पूरा पूरा समय, इसलिए बड़े बिज़नेस का विचार अपने दिमाग में लेने में भय लगता है।

इनका इनकम उनके समय पर निर्भर नही होता है। इनकीं सेल्स टीम या इनकीं एम्प्लाइज की टीम या इनके डिस्ट्रीब्यूटर की टीम पर निर्भर होता है। 
जितनी बड़ी टीम, जितनी उनकी ट्रेनिंग, जितनी टीम में योग्यता उतनी बड़ी उनकी सेल्स वॉल्यूम और ततपश्चात उनकी सफलता होती है । 
इनका फोकस अपनी टीम में नए नए सेल्स मैन की टीम, सेल्स एग्जीक्यूटिव की टीम, रिलेशनशिप मैनेजर की टीम, डिस्ट्रीब्यूटर्स की टीम, यानि अपने टीम के माध्यम से नए नए सेल्स को प्राप्त करना। 
वे लोगो को हायर करते है, अपने सेल्स वॉल्यूम बढ़ाने के लिए । दुनिया का हर बिज़नेस मॉडल अपने सेल्स को बड़ा करने के लिए अपने कस्टमर्स की संख्या का विस्तार करने की योजना बनाता रहता है।   

आज हम सूचना युग मे है, हर प्रकार की सूचना आपके मोबाइल पर उपलब्ध होता है। 
एम्वे बिज़नेस मॉडल आपको अपने असीमित कस्टमर टीम, असीमित डिस्ट्रीब्यूटर टीम बनाने का अवसर प्रदान करता है। लोगो  की पहले बहाली  होती है, फिर उनकी ट्रेनिंग  होती है, ताकि उनकी योग्यता दिन दूगनी रात चौगनी बढ़ सके । 

वैसे लीडर्स  आर्थिक रूप से आज़ाद हो जाते है, समय की बाध्यता नही होती है। ये अपना फोकस अपने टीम पर बनाये रखते है, और उन्हें अच्छी ट्रेनिंग से एम्पावर ( कोच) करते रहते है।
हम अपने टीम से लीवरेजिंग इनकम तैयार करते है। 
लीवेरेजिंग आपको फ्रीडम देता है। 
B quadrant में पैसा टीम बना कर कमाया जाता है। 
यहाँ पर वो बिज़नेस मैन को रखा जाता है, जिनके पास 500 या उससे अधिक लोग कर्मचारी होते है या पार्टनर होते है। यहाँ पर लोगो को नियंत्रण करने के लिए वो एक सिस्टम बना लेते है, या सिस्टम को HIRE करते है, जिसके माध्यम से टीम को कंट्रोल किया जाता है। 

Investor Quadrant इन्वेस्टर से आप क्या समझते है। 

इन्वेस्टर क्वाडरेंट में ऐसे लोग होते है, जो पैसे से पैसे बनाते है। इसे हम पैसिव इनकम कहते है।  ऐसे लोग कम होते है, पर आर्थिक रूप से आज़ाद होते है। वे अपने  पैसे को बड़ी बड़ी रियल एस्टेट कम्पनियां में निवेश करते है, या बड़ी बड़ी कम्पनियों के शेयर में अपना पैसे क़ो  निवेश करते है।
पैसे से वो बड़ा पैसा बनाने में वो एक्सपर्ट हो जाते है।

एम्वे बिज़नेस आपको B क्वाडरेंट बिज़नेस करने का अवसर प्रदान करता है। यहाँ एक सिस्टम होता है, जिसका बना बनाया नियम है, उसी कदमो पर हमें चलना है, और अपने टीम में इसी का मार्गदर्शन प्रदान करना है।..... हमारा Gurucool सिस्टम हमे मीटिंग, ट्रेनिंग लिकं, और किताबो से मेंटरशिप प्रोग्राम उपलब्ध कराता है। हमे LOS के अनुभव का सपोर्ट उपलब्ध होता है। जबरस्त सपोर्ट होता है एम्वे बिज़नेस में। 

मुझे विश्वास है कि हम एक दिन B क्वाडरेंट के एक्सपर्ट बनेंगे। 500 लोगो से बड़ी टीम को लीड करेंगे । 

एसेट्स और लायबिलिटी में क्या अंतर होता है।

एसेट्स वो चीज़ होता है, जो आपके एकाउंट में पैसा लाता है। 
लायबिलिटी वो चीज़ होती है, जिससे हमारे एकाउंट से पैसा बाहर निकलता है। 
एमवे बिज़नेस में हमारे सबसे बड़ी एसेट्स हमारे लोग होते है। जैसे जैसे हमारे टीम में  लोगो की संख्या और उनकी क्षमता बढ़ती है, हमारी इनकम बढ़ती है।
एमवे बिजनेस में अपलाइन के साथ अच्छे सम्बंध हमारी सम्पदा ( ऐसेट्स ) होती है। अपलाइन के साथ मनमुटाव आपकी बहुत बड़ी लायबिलिटी बन जाती है।


एम्प्लोयी कोआडरेंट और बिज़नेस ओनर कोआडरेंट में सबसे बड़ा फर्क क्या होता है।

एम्प्लोयी के पास जब पैसा आता है तो वो लायबिलिटी 
( कर्ज ) खरीद लेता है और अपना लाइफ स्टाइल बना लेता है। और सालों साल कर्ज में ही पूरा जीवन व्यतीत करता है।

बिज़नेस ओनर के पास पैसा आता है तो वो एसेट्स खरीदता है। एसेट्स से जब उसे इनकम आता है, तो वो उससे अपना लाइफ स्टाइल बनाता है। इसे डिलेड ग्रटिफिकेशन कहते है,  थोड़ा इनताजार के बाद सफलता मिलती है।

 डिलेड ग्रटिफिकेशन का सबसे अच्छा उदहारण किसान है, बीज लगाने के बाद इनतजार करता है। मज़दूर, को अपना मज़दूरी तुरन्त चाहिए।

एमवे की सफलता  एक डिलेड ग्रटिफिकेशन का सबसे अच्छा उदहारण  है ।

E/S में लोग तत्काल अपना इनकम चाहते है।

B और I में डिलेड ग्रटिफिकेशन, थोड़ा इन्तेजार के बाद बड़ी सफलता की उम्मीद करते है।  
बिज़नेस ओनर माइंड सेट पहले अपना एसेट्स तैयार करते है, फिर एसेट्स से प्राप्त इनकम को खर्च करते है, अपना जीवन शैली या लाइफ स्टाइल बनाते है।

मेरी शुभकामनाएं।

निम्न प्रश्नों का उत्तर दे :

1. ESBI CONCEPT से आप क्या समझते है। 
2. एम्प्लोयी क्वाड्रेंट को विस्तार से समझाये। 
3. सेल्फ एम्प्लोयी से आप क्या समझते है। 
4. बिज़नेस  ओनर से आप क्या समझते है। 
5. इन्वेस्टर से आप क्या समझते है। 
6. एसेट्स और लायबिलिटी में क्या अंतर होता है।
7. एम्प्लोयी कोआडरेंट और बिज़नेस ओनर कोआडरेंट में सबसे बड़ा फर्क क्या होता है।

Shabdawali :
Compounding of Time, Effort and money 
Leveraging concept, multiplication of your business hours, efforts and money 

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