"Capital gain" का अर्थ होता है किसी संपत्ति, जैसे जमीन, शेयर, या किसी अन्य इन्वेस्टमेंट को खरीदने के दाम से ज्यादा दाम पर बेचना. जब आप किसी ऐसेट को उसके असल दाम से ज्यादा पर बेचते हैं, तो उस पर जो मुनाफा होता है उसे कैपिटल गेन कहते हैं.
उदहारण के साथ समझते हैं:
1. शेयर का Capital Gain: मान लीजिए, आपने किसी कंपनी के शेयर 10,000 रूपए मेँ खरीदे. कुछ समय बाद उन शेयर का मुल्य बढ़ कर 15,000 रूपए हो गया और आपने उन्हें बेच दिया. इस प्रक्रिया में, आपको 5,000 रूपए का मुनाफा हुआ, जो की कैपिटल गैन है.
2. प्रॉपर्टी का Capital Gain: मान लीजिए, आपने एक प्लॉट 5 लाख रूपए में खरीदा था. 10 सालों बाद उस प्लॉट की कीमत 10 लाख रूपए हो गयी. जब आप इसे बेच कर 10 लाख रूपए प्राप्त करते हैं, तो आपको 5 लाख रूपए का कैपिटल gain होता है.
Capital gain दो प्रकार का होता है:
1. Short-term Capital Gain – अगर ऐसेट को एक छोटे समय तक (जैसे shares को 1 साल से कम) रखकर बेचा जाए तो जो फायदा होता है उसे short-term कैपिटल gain कहते हैं.
2. Long-term Capital Gain – अगर ऐसेट को लंबे समय तक रखकर (जैसे zameen को 2-3 साल या उससे zyada) बेचा जाए तो जो मुनाफा होता है उसे long-term कैपिटल gain कहते हैं.
Capital gain पर टैक्स भी लगता है, जो की उसके प्रकार और ऐसेट पर निर्भर करता हैँ.
No comments:
Post a Comment